सिनेमा घर की जर-जर सीढियों से उतरते हुए, एक पुराना घर दिखता है| फिल्म में देखी कोलकाता कि गलियाँ अभी भी मन में हैं| कई बार ऐसा होता है कि मैं सिनेमा खत्म होने के बाद भी कुछ पल उन्ही गलियों में घूमती हूँ, जहाँ नायक-नायिका रहते थे, कुछ ये पुरानी आदत है और कुछ कहानियों का शौक|
तो ये जो घर दिख रहा है, कलावती निवास, क्या ख़ास है इसमें? सच पूछें तो कुछ भी नहीं| पुराना है, दीवारें कमज़ोर लगती हैं, पेंट उखड रहा है, दरवाजें ऐसे हैं कि देख कर ही कहा जा सकता है खुलने पर कितनी आवाज़ करेंगे| कुछ अगर कल्पना का घोडा दौड़ाया जाए तो पता चलेगा जब बनाया गया होगा, बड़े सारे रंगों से रंग होगा, घर के सामने के बड़ा सा पेड़ दिखता है, जो टूटी हुई सी बालकनी से घर के अन्दर झाँक रहा है| आम का पेड़ है शायद| कभी किसी ने बड़े करीने से इसे यहाँ लगाया होगा, एक पौधा होगा जब ये, ये पेड़ जो आज छायादार है|
नाम पर गौर करें, कलावती निवास, आप मुस्कुराएंगे| कलावती?! घर की मालकिन का नाम होगा, या मालिक की माँ का| १९७४ से यहाँ खड़ा है, अब पुराना है, बेरंग है, अजीब सी शान्ति है यहाँ| गोवा के घरों की एक खासियत है, नीची छतें, बालकनी, सुन्दर बागीचे, रंग और रंग!
और गोवा के घर हमेशा मुझे एक मुस्कान के साथ छोड़ जाते हैं|
आज मुझे एक ऐसा ही घर चाहिए, कोई बनावटी सजावट नहीं, कोई दिखावा नहीं, पुराना, अनुभवी, यादों से भरा, खुशियों और परेशानियों का साथी, सहारा, माँ के जैसा! जैसे अभी बोल पड़ेगा, ‘चिंता मत करो, हम हैं”! हर समस्या का हल!
वो जो कहते हैं ना अक्सर, ‘एक महल हो सपनों का’..महल नहीं चाहिए, एक ऐसा ही घर, रंगीन, सुन्दर, अपना सा| जहाँ नायक और नायिका का परिवार रहते, कोलकाता जैसे भीड़-भाड़ वाले शहर की अनजान खोयी हुई गलियों में| पेड़ है तो जुगनू होंगे, जुगनू होंगे, शाम होगी, चाँद होगा और गोवा जैसा मौसम हुआ तो, तो बरसात तो होगी ही! कुछ और भी चाहिए क्या जीवन में? फिल्म ने अभी भी साथ नहीं छोड़ा है, वो गाना याद है? “झिलमिल सितारों का आँगन होगा, रिमझिम बरसता सावन होगा!”|
-ऐश्वर्या तिवारी
in collaboration with Srijan; BITS Pilani, Goa