इश्क-आशिकी
जीवन सुधा है तू ,
ए मृगनयनी
मेरे जीने की वजह है तू !!
तेरे कस्तूरी ने हमे तुझ तक खिंचा है ,
पलकों ने तेरे , हमे बांधे रखा है ,
हमारे इस दिल को ,
तेरे उस प्यार भरे झलक ने सींचा है !!
जिंदगी है ये छोटी सी ,
पल में खत्म हो जाएगी ,
ए दिलरुबा , चाह लिया अगर तुने ,
कसम खुदा की ,
ये जिंदगी अमर हो जाएगी !!
जीवन सुधा है तू …………………………….!
बादल का रुख भी अजीब है ,
बरसता हर जगह है ,
भिगोता हर किसी को है ,
पर न जाने क्यूँ, हमसे इतना खफा है !
जीवन सुधा है तू …………………………………….!
इश्क की इस आंधी में ,
सूखे पत्ते की तरह है ,
हवा के झोके ने ,
जिसे इस तरह झकझोरा है ,
जो हर किसी ने दुत्कारा है ,
मोहब्बत के समंदर में ,
अपनी आशिकी ने ही नक्कारा है !
जीवन सुधा है तू………………………………..!
Ranesh Anand
National University of Study and Research in Law, Ranchi