मैं आज भी घर से माँ के पांव छूकर निकलता हु…
मैं आज भी माँ की बनाई सब्जी पड़ोसी के घर छोर जाता हूँ…..
मैं आज भी घर से निकलते वक़्त
चाभियाँ पड़ोसी के घर छोर जाता हूँ….
मैं आज भी रास्ते में चलते वक़्त किसी को
साइकिल पर छोर देता हूँ……
किसी को जरुरत पड़ी अगर तो
उसकी मदद भी कर देते हैं…….
ऐसा कहकर मै अपनी बड़ाई नहीं कर रहा हूँ
मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूँ क्यूंकि
मैं शहर में नहीं
बल्कि भारत के एक गाँव में रहता हूँ……!!
Rajat Ranjan
NIFT Bhubaneswar