Mann ye Bawra…

Posted: March 29, 2014 by Ankur in Hindi Write-ups, Writes...
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बावरा हुआ रे मन ये बावरा हुआ . . 
अपनी ही धुन में मन मेरा ये बावरा हुआ . . 

मेरे दर की हर दहलीज़ को ये लाँघता चला . . 
कुछ टेढ़े-मेढ़े रस्तों पर . . 
. . . कभी इस डगर कभी उस डगर . . 
. . . . . . या कोई सपनों का शहर , तलाशने चला . . 
बावरा हुआ रे मन ये बावरा हुआ . . 

बाधाओं की लकीर को मिटाता चला . . 
न जाने किस दिशा की ओर . . 
. . . हर बात की फ़िकर को छोड़ . . 
. . . . . . रहा न मेरा इसपे ज़ोर , ये चलता चला . . 
बावरा हुआ रे मन ये बावरा हुआ . . 
अपनी ही धुन में मन मेरा ये बावरा हुआ . . !!

Sugandh Jha

sugandh_passionate@yahoo.com

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