एक अँधेरी गली ,
गली में जलता बुझता एक चिराग़।
सुनसान राह , हवाओं का शोर।
एक तरफ हवाओं में घुली तुम्हारी खुशबू।
दूसरी ओर बेवफ़ाई का धुंआ।
धुएं में घुटता मैं।
एक यादों का शोर , एक एहसास।
एक विश्वास ,तुम्हारे लौट आने का।
यकीं है मुझे अभी भी।
तुम पर, अपने प्यार पर।
तन्हा-तन्हा सा हूँ मैं।
वक़्त है अभी भी , थाम लो मुझे।
इस धुएं में घुट जाऊँगा।
मैं तन्हां था , तन्हा हूँ ,और.………
तन्हा ही मर जाऊँगा। ………….
सत्यशील प्रकाश
KIIT University